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    Question ID: 166273Country: India

    Title: अय्यामे हज में रोज़े

    Question: उलमा ए दीन अस्सलामु अलैकुम व रह. व. ब.। मेरा सवाल! अय्यामे हज मे, रोज़े रखने के नफे, कब रोज़ा रखा जा सकता है, रोज़े रखना फर्ज, वाजिब या मुस्तहब है? क़ुरान और हदीस की रोशनी मे जवाब महसूल फरमायें।

    Answer ID: 166273

    Bismillah hir-Rahman nir-Rahim !

    Fatwa ID: 174-156/M=02/1440
    हज में रोज़े रखने से मुराद अगर यह है कि हज के उन पाँच दिनों में जिन में हज के अरकान व अफ्आल अंजाम दिये जाते हैं, रोज़ा रखना कैसा है? तो जवाब यह है कि दसवीं, गियारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं ज़िलहिज्जह को तो रोज़ा रखना ममनूअ है चाहे हाजी हो या गैरे हाजी सबके लिये हुक्म बराबर है। और नोव्वीं ज़िलहिज्जह को ग़ैरे हाजी के लिये रोज़ा रखना मुस्तहब और फज़ीलत का अमल है जब्कि हाजी के लिये अरफात के मैदान में रोज़ा न रखना बेहतर है क्योंकि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज्जतुल वेदा में और खुलफा ए राशिदीन ने भी अरफात का रोज़ा नहीं रखा। इसके अलावा दिनों में ईद के दिन को छोड़ कर रोज़ा रख सकते हैं।

    Allah (Subhana Wa Ta'ala) knows Best

    Darul Ifta,

    Darul Uloom Deoband, India