Title: ख़ाला की जायदाद मॆं हिस्सा
Question: मेरा सवाल मेरी मरहूमा ख़ाला और उनकी जायदाद को लेकर है। मेरी ख़ाला का इन्तेक़ाल अभी चन्द रोज़ पहले ही हुवा है। वह एक सरकारी मुलाज़मत से रिटायर्ड हुई थीं। लिहाज़ा उनकी काफ़ी जायदाद और बैंक बैलेंस है, ख़ाला ग़ैर शादी शुदा थीं। मेरी ख़ाला के रिश्तेदारों मे उनकी दो बहनें और एक भाई और थे। जिनमें से एक बहन और भाई का इन्तेक़ाल ख़ाला से पहले ही हो चुका है। आज की तारीख़ में सिर्फ़ एक बहन हयात है, उनके वारिसों के नाम पर एक हयात बहन, एक मरहूम बहन और एक मरहूम भाई की औलादें ही हैं। अब सवाल यह है कि उनकी जायदाद की तक़सीम क़ुरआन और शरीअत की रोशनी में किस तरह की जाये? क्या जायदाद दो बहनों और एक भाई के हिस्से में बराबर से बांटी जाये? या चूंकि एक बहन और भाई का इन्तेक़ाल ख़ाला की ज़िन्दगी में ही हो गया था तो वो जायदाद के हिस्से से दस्तबरदार हो गये? या अगर तीनों का हक़ बनता है तो हिस्सों पर वही क़ानून लागू होगा कि भाई के दो हिस्से और बहनों का एक एक हिस्सा। महरबानी करके क़ुरआन और शरिअत के हिसाब से वज़ाहत करें ताकि हक़दारों को उनका सही हक़ मिल सके।
Answer ID: 149895Posted on:
Aug 30, 2020
Bismillah hir-Rahman nir-Rahim !
Fatwa ID: 885-888/L=07/1438
सवाल के अनुसार अगर आप की ख़ाला की वफ़ात के वक़्त उनके वालिदैन में से कोई ह़यात न रहा हो तो मरहूमा ख़ाला का तरका (छोड़ा हुवा माल) उनके वरसा के दरमियान इस तौर पर तक़सीम होगा कि मीरास से पहले अदा होने वाले हुकूक को अदा करने के बाद, तमाम तरका का निस्फ (आधा हिस्सा) बाह़यात बहन को और बक़िया आधा ह़िस्सा भाई की मुज़क्कर (यानी प्रुष) औलाद को बराबर मिल जाऐगा। मरहूमा से पहले जो भाई बहन वफ़ात पा गऐ हैं उनका और इसी तरह अगर भाई की कोई लड़की या लड़कियाँ हो तो उनको मरहूमा के तरका से कोई ह़िस्सा नहीं मिलेगा।
Allah (Subhana Wa Ta'ala) knows Best
Darul Ifta,
Darul Uloom Deoband, India